मुलाकात होने को है ऐ चांद , बस तुझसे आस है..
इस रात की सुबह न हो बस इतनी इल्तिमास है..
चुपके-चुपके मिलने का शग़्ल क्या बयान हो मुझसे..
जितनी मसर्रतें होती है दिल में, उतना ही हिरास है..
एक बार जो चूम लूँ , फिर दिल कहाँ सम्भलता है..
उसकी होंठों की नाज़ुक छुअन मानो मूरतास है..
मेरी ख़ामोशी मे भी दिल की हलचल पढ लेती है..
वो मृगनयनी है वो ही चेहरा-शनास है..
अब उज्र क्या करे , चलो दिल की मान ले नकुल..
कि इश्क़ है तुम्हें इन मौसमों की हवाएं रास है..
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