§ मेरे सपनों की अंगड़ाई §
रात के समंदर में सपनों की अंगड़ाई ,
याद दिलाती, नज़रों में तेरे दिल की गहराई।
यूँ ख्वाब समेटे, तुझसे रुखसत दिल की पुरवाई ,
न जाने क्यूँ दिखलाती , प्यार में चाँद की रुसवाई।।
आज भी, बस यादों तक सिमट जाती है, तेरे रूह की परछाई,
क्या बस यहीं तक है ,मेरे सपनों की अंगड़ाई ?
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