#कोरोना,सरकार और आत्मविश्वास #
आज,देश एवं समाज का बहुतेरा हिस्सा अपितु सम्पूर्ण विश्व कोविड-19(कोरोना)से जनित महामारी से जूझ रहा है।गाँव ,शहर की एकाध चौपालें जो कभी सजी रहती थीं अब बेजान हो गई है।लोग दूसरों से क्या अपनों से मिलने पर सशंकित दिखाई पड़ते है।इसी बीच सरकार ने विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन शुरू किया।यह नकारात्मकता से भरा एक सकारात्मक कदम था।
परंतु इसी विकराल संकट के मध्य सरकार के लिए गए फैसले (निजी करण,प्रतियोगी परीक्षा संस्थानों की अकर्मण्यता तथा सकल घरेलू उत्पाद(-२३.९) का नीचे जाना)लोगों में विरोध की अलख जगा रहा है।
कई सारे संक्रमण से ठीक हुए लोगों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों इत्यादि को पढ़ने के तत्पश्चात,एक बात निकलकर सामने आई कि कोरोना किसी इलाज से ज्यादा आत्मविश्वास का संगी है।लोगों का आत्मविश्वास उन्हें स्वस्थ होने में मदद कर रहा है। अस्पतालों में जाने पर ही लोग ठीक हो जा रहे हैं क्योंकि वह एक आत्मविश्वास को जन्म देता है एक नए जीवन की।
अतः सरकार यदि कुछ समय अपने अन्दुरुनी मामलों पर जोर दें।बेरोजगार युवकों पर ध्यान दे। किसानों पर ध्यान केंद्रित करें।परीक्षा संस्थानों को परिणाम घोषित करने एवं परीक्षा तारीखों को सूचित करने का निर्देश दिये जायें तो शायद किसी भी प्रकार के जमघट से बचा जा सकता है।यही समय की जरूरत है।यह लोगों में आत्मविश्वास पैदा करेगा।
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