चांदनी रात थी, वो मेरे साथ थी..। अपने दिल की बात वो नहीं कह पायी....! लेकिन बातो ही बातो में वो मुस्कुरायी...... मुस्कुराहट दिल के बयां जुबान पे ला गयी.... और हम दोनों को दो जिस्म एक जान बना गयी..
पिघलने को एहसासों के नज़र ए इश्क़ काफी है.. के जिस्मो की अदाएगी.. तो बाद की बात है... कुछ वो नज़र भर के देखे.. कुछ हम नज़रे चुरा के... यही वो कसक जो.. इस इश्क़ की ख़ास बात है...