QUOTES ON #YQHINDIURDU

#yqhindiurdu quotes

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2 JUN 2021 AT 8:42

हम और तुम
सौर मंडल के
एक ही ग्रहपथ में परिक्रमा लगाते
दो ग्रह हैं

हमारा सूर्य ?
हमारे प्रेम में
हम दोनों का विश्वास
हमारे सौर मंडल का सूर्य !

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7 DEC 2019 AT 8:08

उस एक मंज़िल की तलाश में हूँ,
जहाँ से कोई कारवां शुरू होता हो...!

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19 MAR 2021 AT 18:27

हमारे साथ हुआ है तो कोई बात नहीं
तुम्हारे साथ बुरा हो कभी ख़ुदा न करे

ہمارے ساتھ ہوا ہے تو کوی بات نہیں
تمہارے ساتھ برا ہو کبھی خدا نہ کرے

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20 AUG 2018 AT 14:42

ख़ैरियत पूछने पर मुस्कुराता बहुत है..
मोहब्बत कर बैठा है शायद किसी से..!

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3 DEC 2019 AT 9:10

मानव शरीर
पंचतत्वों से बना होता है
जल, थल, नभ,
वायु और अग्नि
पर..
मैं बनी हूँ छह तत्वों से
और मेरा
छठा तत्व हो ... तुम ..!
©LightSoul

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5 APR 2020 AT 7:19

न साथ आएगा तू मेरे तो क्या सारा ज़हाँ होगा
अकेले मैं चलूँगा और पीछे कारवाँ होगा

यहाँ होगा वहाँ होगा न जाने कब कहाँ होगा
जहाँ में और अब कितना हमारा इम्तिहाँ होगा

जहाँ भी नक़्श-ए-पा मेरा मिटा सकता नहीं कोई
यहाँ होगा वहाँ होगा जहाँ चाहूँ वहाँ होगा

जहाँ अब हम मिलेंगे वो जगह कुछ इस तरह होगी
ज़मीं नीचे नहीं होगी न ऊपर आसमाँ होगा

अभी उम्मीद बाक़ी है बिछड़कर भी मुसाफ़िर को
किसी दिन साथ उनके फिर यक़ीनन कारवाँ होगा

मेरे मेहबूब की फ़ितरत भी मौसम-सी बदलती है
कभी तो सर्द वो होगा कभी आतिश-फ़िशाँ होगा

छुपाकर रख नहीं सकते किसी की चाह को 'सालिक'
लगी हो आग सीने में तो चेहरे से बयाँ होगा

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27 FEB 2020 AT 9:18

हो सकता है कल मेरी
कविता की पोथी
रद्दी के डिब्बे में पड़ी मिले
या उस हलवाई के पास
जो उस पोथी से कागज
फाड़-2 कर लोगों को
10 रुपये की जलेबी देता है
मेरी कविता तब तक उस कागज से
मूल्यवान नहीं है
जिसे आखिर में भूखा जानवर
चाटता है
जब तक कोई व्यवस्था से बुझा
आदमी
मेरी कविता के कागज पर
10 रुपये के क्रांति नहीं खाता
कविता दियासलाई होती है
मशाल किसी और को बनना पड़ता है
कविता हर युग में
गांधी या भगत सिंह का रूप लेकर
नहीं आ सकती
कविता रूप बदलती है
कभी विद्रोह का
कभी विद्रोही का
कभी क्रांति का
कभी शांति का
और कभी सिर्फ उस कागज का
जिस पर रखकर कोई रिक्शेवाला
15 रुपये की पकौड़ी खाता है॥

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14 NOV 2019 AT 16:09

मन की बोरी
सपनों की चवन्नी
बैंक सी दुनिया
हुई बेदम चवन्नी !
चिंगारी से लम्हें
बूंद सी हिम्मत
ज़ोर की टक्कर
धुंधला धुआं चवन्नी !
गहरा काला सा डर
उजली खोखली सी भीड़
पहली ही मुलाक़ात
घुटके मरी चवन्नी !! Tanu Srivastava "सखी"





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2 NOV 2019 AT 6:49

मैं.. रोज़ सज धज कर
फ़ोन लेकर बैठ जाती हूँ
और इंतज़ार करती हूँ
तुम्हारे मैसेज का
आज कल के ज़माने में
डाकिये नहीं होते
वरना देहरी पर
बैठी हुई मिलती मैं
तुम्हारे ख़त के इंतज़ार में
उस ज़माने में..
वक़्त बहुत लगता था
एक ख़त आने में..
मेरे लिए शायद ..
ज़माना अब भी नहीं बदला
ठिठक गया है
आज भी...
वक़्त बहुत लगता है
तुम्हारा.. एक मैसेज आने में .. !
©LightSoul

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25 DEC 2019 AT 15:57

मैं इंसान हूँ

मुझे प्यार नोटों से नहीं,
भाव में बहता हूँ।

मैं ठहरा हुआ पानी नहीं,
बहता हुआ झरना हूँ।

कोई आए जाए फ़र्क़ नहीं पड़ता
अक्सर यह कहता हूँ।

उनके आने पर झूम उठता,
दूर जाने पर अंधेरे में रोता हूँ।

कोई आता है पास, तो डर है लगता
प्यार की दो बातें करले तो उसे दिल में बसाता हूँ।

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