जिनके लिए मन में एहतराम ख़त्म हो जाए
वो मर जाते है दुनिया छोड़ने से पूर्व ही,
जो शेष बचता है, वो कर्मों का फल भोगने के
लिए उनका अस्तित्व, जिस अस्तित्व का भी
कोई अस्तित्व नहीं होता, रह जाते है फ़िर
घृणा की गाँठो से जुड़े औपचारिकता मात्र संबंध,
जिनके सदा के टूटने पर भी नहीं निकलते अश्रु
कुछ निकलता है तो वो नमक पूर्ण पानी।
-