अब वो कहीं खोई सी रहती है,
भीड़ में होकर भी अकेली सी रहती है,
अपने विचारों की दुनिया मे कहीं गुमसुम सी रहती है,
उनकी चुप्पी अब सबके सामने बोलती है,
अब वो पहले की तरह कुछ नही बोलती है,
हाँ करती थी बातें जी भर-के सबसे पर
अब वो बातें पहले जैसी कहाँ रहती है,
अब वो खुद मे कहीं हैरान सी रहती है,
अब बिन बतलाए किसी को खुद मे परेशान सी रहती है,
हाँ चाहती तो बहुत कुछ है पर अब उन्हें
खुद की चुप्पी ही अच्छी सी लगती है,
हाँ अब वो कहीं खोई सी रहती है,
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