चोर के घर पर चोर चोरी करने जाते है एक दूसरे को देख वे चोर चोर चिल्लाते हैं आसपास के लोग समझ नही पाते हैं लोगो को दोनो ही चोर नजर आते है फिर भी हर बार किसी एक को वे बचाते है
झूठ न बोलो तुम हमसे छुपा नही पाओगे झूठ की चादर से सच को कभी नही ढक पाओगे एक झूठ छिपाने की खातिर सौ झूठ बोलने पड़ते है किस झूठ को कहाँ किस से बोला याद भी रखने पडते है कितनी भी कोशिश कर लो तुम हमको न बहला पाओगे मुस्कराकर आखिर कब तक तुम अपना काम चलाओगे
देर हो जाती है कैसे ,मै समझ नही पाता हूँ तेरी यादो के साए मे इस कदर खो जाता हूँ जिस काम को करता हूँ उसी मे उलझ जाता हूँ जल्दी-जल्दी के चक्कर मे कुछ न कुछ भूल जाता हूँ जहाॅ से चलता हूँ फिर वही पर पहुँच जाता हूँ
पलके बिछाए करते थे तुम हर शाम मेरा इन्तजार बढ़ जाती थी दिल की धडकने जब होते थे नैना चार अतीत के वे पल मुझे अब भी बेचैन कर देते हैं वे लम्हे मुझमे नई उर्जा का संचार कर देते हैं प्रेम के दीप जलाकर तुम दहलीज पर खडे होते थे उन चन्द लम्हो मे हम जिन्दगी को जी भर के जी लेते थे
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