QUOTES ON #YQDIDIHINDIPOETRY

#yqdidihindipoetry quotes

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22 MAR 2018 AT 11:31

जो अहंकार का बीज मन में बो दोगे
फिर पाकर भी सब कुछ खो दोगे
हजारों के बीच तन्हा रह जाओगे
फिर जश्न किस बात का मनाओगे
उठो, चलो प्रहार करो
अपनी कमजोरियों पर वार करो
जीवन एक चुनौती है
सुख दुःख को ढोती है
इतना जो पथ के काटों से घबराओगे
फिर मंजिल तक कैसे पहुंच पाओगे
जो स्वप्न तुमने मन ही मन संजोया है
डरो मत, उस स्वप्न को साकार करो
उठो, चलो प्रहार करो
अपनी कमजोरियों पर वार करो ।

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19 APR 2020 AT 22:03

दिल पे अब अपने तरस खाना बंद कर दिया ,
लोंगो की बातों को दिल से लगाना बंद कर दिया !

रिश्तों में खुद को हरपहर उलझाना बंद कर दिया ,
झूठे सपनों के पीछे खुद को भगाना बंद कर दिया !

अधूरा रहा जो, उसे भी अधूरा बताना बंद कर दिया,
अपनी दुखों मिले तकलीफों काे जताना बंद कर दिया !

दिखावे वाले रिश्ताें में, साथ निभाना बंद कर दिया,
समझौते कर स्वाभिमान को ठेस पहुंचाना बंद कर दिया!

जो मुकम्मल नहीं होगा,उसपर हामी दिखाना बंद कर दिया ,
सबकी 'हां' में 'हां' मिलाना बंद कर दिया ।

-Deeply written by soni Keshri💞










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15 JUL 2019 AT 21:36

मेरे घर का पता
हो गया लापता
(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें)

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17 JUL 2020 AT 14:19

🌻💌🌼🌸🌷♥
अदब़-ए-मुहब्ब़त के आब़रु को लिबास की
तरह बदला नही करते ये तो वह कफ़न है,
👐💟💞☝🙌
जिसे एक बार पहन लिया तो आलम ये
है कि दोबारा उतार नही सकते !!!!
👆👆👆👆👆👆

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23 JUL 2019 AT 18:22

आज के अख़बार के मुख्य पृष्ठ पर छपी दो खबरें
एक ऊपर तो दूसरी नीचे के भाग में
अख़बार को बीच से मोड़ने पर
दोनों खबरें हेडलाइन बनती हैं
एक से होता है सर फ़ख़्र से ऊँचा
तो दूसरी से होती है शर्मिंदगी
एक ख़बर है चन्द्रयान की
'भारत चांद छूने चला'
दूसरी ख़बर गिरिडीह की है
जहां डायन समझ पीटा गया
एक महिला को पेड़ से बांध कर

अख़बार की तरह हमारा हिंदुस्तान भी
मुड़ा हुआ है दो भागों में
एक आगे है
जिसे हम पढ़ते हैं, देखते हैं,
जिसके साथ चलते हैं
दूसरा पीछे है
जहां अंधेरा है,
जो हमारे साथ नहीं
जो काफी पीछे छूट गया है
जो रहता है हाशिये पर
और छपता है मुड़े हुए अखबार के
पीछे वाले भाग में

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आगाज़ (18अप्रेल 1917)

मजहब मजहब चिल्लाते हो
जाकर देखो मधुशाला
सारे मजहब एक हो गए
गले उतर गई जब हाला
जाति पंथ सब एक हो गए
महक उठी जब मधुशाला
पीने वाले बोल रहे सब
जय हो तेरी मधुशाला
अभिज्ञान





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12 MAY 2019 AT 11:27

मदर्स डे और
नेफ्थलीन की गोलियाँ
(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें)

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27 DEC 2018 AT 23:53

1.
किताबें अज़ीज़ होती हैं
सीने पर सर टिका कर सो जाती हैं
गहरी नींद में हों तो
उतर कर सिरहाने चली जाती हैं
तेज रोशनी आंखों में न गड़े,
तकिए से सर छुपा लेती हैं
किताबें अज़ीज़ होती हैं...

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22 JUN 2019 AT 11:49

1
दो मिनट का मौन रखा जाता है
आत्मा की शान्ति के लिए
तुमने क्या सोचकर दस दिनों से
कुछ बोला ही नहीं

2
दो मिनट का मौन रखा जाता है
आत्मा की शान्ति के लिए
मोक्ष मिल गया होगा उन्हें
तुम्हारी इस चुप्पी से

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4 FEB 2019 AT 10:01

मंदिर गए तीरथ गए
किया कुम्भ स्नान
मेरे गुनाहों के मगर
मिटते नहीं निशान

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