कयू करे कोई बात तेरी चिटठी की, तकदीर खुलेगी,जब खुलेगी हथेली मुट्ठी की। बन धधकता कोयला कूद पड भट्ठी मे, कितने मिट गए तेरे मेरे जैसे मिटटी मे। वो खुद कहेगे देखो आसमां मे, उड रही है राख तेरी भट्ठी की l समझ जाना बात चल रही है अब, तुम्हारी चिटठी की।
मेरे हर ख्वाब को जिसने हकीकत किया है जिसके साये मे मैंने हर लम्हा जिया है मेरे हर कदम पर जिसने मेरा साथ दिया है दुनिया की भीड मे जिसने थाम मेरा हाथ लिया है जिसका हर वचन मेरे लिए 'गीता' है मै मजदूर का बेटा हूँ और 'शहंशाह' मेरे पिता है
कि तुम्हें इस दिल से खेलना पसंद है , तो जीतने का हुनर हम भी रखते है.......... हम आज हारे हैं तो क्या हुआ मेरी जान , अपनी मोहब्बत को पाने में नाकाम तो तुम भी लगते हो ........