..क्यों जोर दे रहे हो ज़िन्दगी है, होले-होले कट रही है!
और तुम खामुखा ऊपर वाले को दोष दे रहे हो!
फस्ट्रेशन से ही तो दुनिया बनी है मेरे यार,
अब जब दुनिया बनी है! तो ज़िन्दगी बनी है खुद्दार
अब जब ज़िन्दगी बनी है! तो कमबख्त दिमाग
उसके पहले ही खुरापात को था तैयार
फिर जब खुरापाती हुई, तब जाकर हुई टेन्शन
की बौछार
फिर जब टेन्शन हुई, तब शायद सिर्फ़
टेन्शन ही हुई!
अब क्या करोगे? अंजाम का इंतजार,
भूलो मत दिल्ली में अभी टिकी है!
केजरीवाल की सरकार, आम आदमी हो तो क्या
हुआ! बहिनचोद दिल्ली वालों की तरह डेरिंग
दिखलाओ,,
उठाओ सरदारों की तरह बोतल विस्की की अब जरा
बर्फ के संग दो पैग हार्ड लगाओ,
रुको पाँच मिनट, अब पूँछो किधर है?
बहिनचोद टेन्शन तुम्हारी?
जनाब ये दिल्ली है! यहाँ नहीं चलती ज्यादा दिन
रंगबाजी, किसी औऱ प्रदेश वाली!
-Rahul S. Mishra
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