QUOTES ON #YQDAIRY

#yqdairy quotes

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अक्षर तो लिख दूँगा अपनी कलम से
पर उसका दर्द सिर्फ मैं जानता हूँ ..
तू दूर होकर भी मेरी ही रहेगी
मैं तुझे अपनी मंज़िल मानता हूँ...
नाराज़ होकर भी तू इश्क़ बेहद करेगी मुझसे
मैं अपने इश्क़ को अच्छे से पहचानता हूँ.....|

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2 JUL 2020 AT 19:18

अल्फ़ाज़ कहूं या सोच,

तुम तक आते सब ख़त्म हो जाती है।

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19 APR 2020 AT 22:03

दिल पे अब अपने तरस खाना बंद कर दिया ,
लोंगो की बातों को दिल से लगाना बंद कर दिया !

रिश्तों में खुद को हरपहर उलझाना बंद कर दिया ,
झूठे सपनों के पीछे खुद को भगाना बंद कर दिया !

अधूरा रहा जो, उसे भी अधूरा बताना बंद कर दिया,
अपनी दुखों मिले तकलीफों काे जताना बंद कर दिया !

दिखावे वाले रिश्ताें में, साथ निभाना बंद कर दिया,
समझौते कर स्वाभिमान को ठेस पहुंचाना बंद कर दिया!

जो मुकम्मल नहीं होगा,उसपर हामी दिखाना बंद कर दिया ,
सबकी 'हां' में 'हां' मिलाना बंद कर दिया ।

-Deeply written by soni Keshri💞










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"इश्क़ तो मुझे भी बेशुमार हैं तुझसे मेरी माँ
बस ख़्वाहिश इतनी सी की तेरे सजदे में निकले मेरी जाँ....

मेरे देश के वीर योद्धाओं
पुलवामा शहीदों को
🙏💐🇮🇳शत शत नमन एवं श्रद्धासुमन🇮🇳💐🙏

पूरी कहानी अनुशीर्षक (केप्शन) में पढ़ें

©कुँवर की क़लम से....✍️

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इजाजत हो अगर तो इश्क़ में शुक्रिया कहूंगा ...
वो तुम ही तो हो जो लफ्जों में जज़्बात पढ़ लेते हो...|

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29 DEC 2018 AT 18:06

Rabji...
"..ऐ परछाई.."
पास आके...ज़रा अहसास करा
"मुझे मेरे होने का"

मैं बरसों से बहता ही रहा हूं
वक़्त के गहरे दरिया में।

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27 AUG 2019 AT 7:12

#WARMONGER

The one who carry many battles in thier heart ; They never care about how many people are killed in the process .

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11 FEB 2019 AT 10:14

कहना था तुमसे मगर कुछ कह नहीं पाया,
जिक्र ए मोहब्बत मैं तुमसे कर नहीं पाया।

तुम हया फरमाती रही आंखों से इश्क़ की,
और मैं हाल-ए-दिल कभी कह नहीं पाया।

तुम जान गई थी मेरे नादां दिल की धड़कनें,
और मैं तुम्हारी मोहब्बत समझ नहीं पाया।

दिन महीने साल बीते जैसे मौज ए दरिया,
सावन में लगी वो आग मैं बुझा नहीं पाया।

नींदे सो गई पर रात जगती रही आंखों में,
पिछले कुछ महीनों से मैं रो भी नहीं पाया।

लम्हों के मयखाने में तुझे याद कर के मैं,
खुद को तनहा होते कभी रोक नहीं पाया।

क्या फायदा किसी और से कु़र्बत होने का,
जब पास रहकर भी तुझे जान नहीं पाया।

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16 MAR 2018 AT 16:40

log puchte hai mera kaam kya hai ?
aur mera jawab hota hai -_-
jadugar hu kagaz pe kalam se jadugari dekhati hu

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29 MAR 2020 AT 15:19

मैं जब भी नींद में गोया तन्हा निकलता हूँ...
ग़मों की पोटली भी साथ लेता निकलता हूँ...

कहने को तो रात भर कभी सोता नहीं हूँ मैं...
जगाती है माँ अक्सर तो सोया निकलता हूँ...

चन्द लफ़्ज़ ही तो है इक ग़ज़ल का खेल...
हर बार एक जैसे लफ़्ज़ लिखता निकलता हूँ...

इक पुराना सा आईना आँखों में आ गया...
बुढ़े सी शक्ल में फ़िर से बच्चा निकलता हूँ...

इक बार ही सही पर, बोली लगा कर तो देख...
कि तेरे वास्ते, मैं कितना सस्ता निकलता हूँ...

"शाद" निकलने को है, तेरे सफ़र पे जानाँ...
तू भी अगर चले, तो चल आ निकलता हूँ...

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