QUOTES ON #YQBHAIJAAAN

#yqbhaijaaan quotes

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18 NOV 2019 AT 21:18

हाथ पकड़ कर चलना भी सिखाया है,
गलत होने पर सही रास्ता भी दिखाया है,
कठोर जमाने में जीने के मन्त्र बताया है,
वही तो मेरे सपनों का असमाँ है,
जो मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार हो,
वही तो मेरी माँ है।

मेरे आने के समय,कितना दर्द सहा होगा,
वो दर्द बून्द-बून्द कर अश्कों में बहा होगा,
फिर भी ठीक हूँ मैं उसने सबसे कहा होगा,
जो सारे दर्द भुला दे वह ऐसा नगमां है,
जो मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार हो,
वही तो मेरी माँ है।

कभी हँस कर कभी डाँट कर ,उसने मुझे पाला है,
डाँट कर मनाने का भी उसका अंदाज़ निराला है,
वही तो मेरी फीकी ज़िन्दगी में मसाला है,
वह तो अपने आप में खुशियों का समां है,
जो मेरे लिए कुछ भी करने के तैयार हो
वही तो मेरी माँ है।

अब भी मेरा साया बन कर मेरे पीछे चलती है,
मेरे नए नए कामों में मुझसे बेहतर ढ़लती है,
सिर्फ मुझे नहीं पालती, खुद भी मेरे साथ ही पलती है,
वही तो मेरी उम्मीद और अरमाँ है,
जो मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार हो,
वही तो मेरी माँ है।

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17 MAY 2018 AT 11:05

तेरी मोहब्बत का ऐसा सिला न होता,
बेहतर होता मैं तुझसे मिला ही न होता।

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8 APR 2020 AT 0:47

ज़्यादा कुछ तो नहीं हम कुछ सवालात करते है..
तुझसे अपनी मोहब्बत की मांग करते है
चल तुझे जाना है तो जा..
बस एक दफा मुड़कर के तो देख हम तुझसे कितना प्यार करते है......

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22 AUG 2017 AT 1:13

कि कच्ची गलियों में वो गाड़ियाँ चला नहीं पाता
बस इसलिए मेरा बेटा अब घर नहीं आता..!!!

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27 APR 2018 AT 4:05

मैं गीत क्या लिखूँ...?
मेरा 'कवि' खो गया है..!
अंतरजाल के अन्तः जालों में,
धर्म, जाति के भ्रम जालों में..!
बाल श्रम के अन्न के लालों में,
कंक्रीट के नित बिछते जालों में,
आणविक युद्ध के मकड़ जालों में।

मैं गीत क्या लिखूँ...?
मेरा 'कवि' खो गया है..!
बलात्कार से उठती अबोध की चीखों में,
हर पल नैतिकता के गिरते मूल्यों में,
शिशु कन्याओं की भ्रूण हत्या के पापों में,
अशिक्षा और कुशिक्षा के अभिशापों में।

मैं गीत क्या लिखूँ...?
मेरा 'कवि' खो गया है..!
क्रेडिट कार्ड के बढ़ते उधारों में,
ए टी एम के खस्ते अधिभारों में,
शॉपिंग मॉल के दमकते गलियारों में।
सोशल साइट्स पे नकली व्यवहारों में।

मैं गीत क्या लिखूँ...?
मेरा 'कवि' खो गया है..!
ऋण के दुष्चक्र में गुमते किसानों में,
झूलती किसान की लाशें खलिहानों में,
फौजियों की विधवाओं के नित क्रन्दनों में,
मोबाइल से बढ़ती दूरियाँ अपनों में,
पर्यावरण के हर पल बढ़ते प्रदूषणों में।

मैं गीत क्या लिखूँ...?
मेरा 'कवि' खो गया है..!

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27 JUN 2018 AT 14:07

Don't follow what's in trend,
But follow what needs to be changed...

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8 JAN 2021 AT 19:28

राहत देती है कुछ शाम यूँ सूरज डूब जाने के बाद
लालिमा रहती है देर तलक आसमान में,उसके जाने के बाद

मैंने तुझको मुझसे गले लगते हुए महसूस किया,उस शाम अली
काफी देर तलक खड़ा रहा मैं वहीं,तेरे जाने के बाद

ये तहज़ीब ओ अमल मुझमें अली,तेरे आने के बाद आया
ये बद्तमीजियाँ और गुरूर सीखा मैंने अब,तेरे जाने के बाद

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23 OCT 2018 AT 19:36

अब जब यह मोहब्बत का दरिया साहिल तक आही गयाहै तो इसमें डुबना ही सही , लहरें मिले न मिले ज़िन्दगी का
आखरी सिला समुन्द्र तो हे ही सही ।।

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2 MAR 2019 AT 16:54

सही वक्त कभी आया ही नहीं,
हम हमेशा से गलत ही जो रहे...

© - तरपल
19 Jan 2019

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13 FEB 2020 AT 10:07

सच में....

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