"विजयादशमी" का अर्थ यह होता है कि "बुराई कितनी भी ज्यादा बलशाली क्यों न हो मेरे भक्तों अंत में जीत सदा सत्य की ही होती हैं।"
हम बाहर के "रावण" का संहार तभी कर पाएंगे "अभि" जब पापमुक्त होने के बाद हमारे अंदर के "रावण" की स्थाई रूप से समाप्ति होती हैं।
हमारे आस पास चाहे कितनी भी अत्यधिक नकारात्मक ऊर्जाएं उपस्थित हो किंतु अंततः जीत हमारे सोच, समझ और सही की होती हैं।
श्री राम की तरह जो जन सदैव ही त्याग के लिए तत्पर, सहायतार्थ इच्छुक व सत्य मार्ग पर अग्रसित होने की जिसमें शक्ति होती हैं।
साथ ही साथ पाप के विपक्ष में खड़े होने की जिस भी जन में सामर्थ्य, मार्मिक और मानवीय जिस किसी की अभिव्यक्ति चाहिए होती हैं।
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