जानती हूँ आज मैं हूँ कल कोई और होगा, तेरे इश्क़ की दुकान पर हर पल कोई तेरे साथ होगा| भीख मांग कर जी लूं ये जिन्दगी तेरा हाथ थामकर, जा नहीं हूँ मैं ऐसी, किसी और से तू बेहिसाब प्यार कर|
माना इश्क़ है उसे मुझसे पर, वो पागल नहीं है मेरे लिए। मुझे समझे और ऐतबार करे मुझपर, ऐसा क्या करूँ उसके लिए? सुना है कि मुझे छोड़कर, अकेला रहना चाहते हैं वो; अगर ऐसा है तो मैं खुद ही, बुझा दूंगा ये मोहब्बत के दिये।।