उड़ रहा हूँ जो में आसमानो में,
ढूंढ लो तुम मुझे इन हवाओ में,
में तो पंछी बिना पंखो के उड़ चला
ढूंढ़ना है मुझे तो तू पंख लगा,
साथ में जब था तेरे तो कह ना सका
आज दूर होकर भी कही रह ना सका,
इतनी तन्हाही में भी बस तुझे ही याद किया
क्यूँकि मेरी असलियत का बस तुझे ही पता लगा,
हूँ बेशरम और बेझिजक सा तेरे सामने
पर तुझे मेरे बारे में ये क्या पता लगा
जो शक भी तेरा है बढ़ रहा,
और में हूँ वो पंछी जो बिना पंखो के उड़ रहा
ढूंढ़ना है मुझे तो तू पंख लगा !!!!
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