तस्वीरों में तो , नज़र आती है ; बडी रंगीन-सी ,
असलियत में , ब्लैक एंड व्हाइट हो गई है
जिंदगी।।
मंजिल का पता नहीं , अब कहाँ मिलेगी जाकर?
राहों में कभी लेफ्ट , तो कभी राइट हो गई है
जिंदगी।।
खुशियों का आना-जाना , तो लगा हुआ है ,
लेकिन
ग़मों की फेहरिस्त से , तो इनफिनाइट हो गई है
जिंदगी।।
दो पल सुकून के, यहां ख्वाहिश में नहीं किसी के,
काम की भागदौड़ में फँसकर , लेटनाइट हो गई है
जिंदगी।।
करीब के लोगों से होता ,न कोई ताल्लुक, न
वास्ता,
फेसबुक की फ्रेंडलिस्ट बढाकर ,स्केड्यूल टाइट हो
गई है जिंदगी।।
सेल्फी , स्टेट्स अपडेट के ,जाल में उलझकर
'रूहानी',
बस अब सबकी, तो सोशल नेटवर्किंग साइट्स के,
नाम हो गई है जिंदगी।।
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