करता है धूम्रपान वो जलता उसका घर है।
रोती उसकी माँ है और बिलखती उसकी बहिन है।
अब तो रोज निकलते है आंसू घर के हर इक कोने से,
फर्क नहीं पड़ता अब उसे अपने माँ बाप के रोने से,
वो तो अपनी मस्ती में कश पर कश लगाता है।
दर्द होता है उसके माँ बाप को पर प्यार न उसे सुहाता है।
लगाके वो अब इंजेक्शन नसो में अपनी चैन की नींद सो जाता है।
पर आती नही है नींद माँ बाप को उसके पर उसको पता कहा चल पाता है।
वो तो अपनी जवानी में नशे पर नशे करता रहा।
पर आई जब अंतिम घड़ी तो बचा लो मुझे कहता रहा।
अब हाथ पर हाथ धरकर कैसे बैठते उसके माँ बाप,
अपनी पूरी ताकत करने में ठीक उसे झोंक दी।
पर नही बचा वो घर का दीप आस उसने तोड़ दी।
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