हाथों की लकीरों में "नवोदय"की याद लिख दूं
जन्नत में लौट जाने की ,फिर फरियाद लिख दूं!!
कानो में बिसिल की आवाज फिर गूंज उठेगी
पिंजरे में कैद होने को ,फिर आजाद लिख दूं!!
दुनिया की भीड़ में अब सब अधूरा सा है
बुला लाओ दोस्तो को फिर वही क्लास में
फिर डेस्क में, तबलो की नाद लिख दूं!!
प्यार तो अब भी है,नवोदय और नवोदय वाली से
दोनों ही साथ मिल जाए तो, जिंदगी आबाद लिख दूं!!
6th में इस कैद ने रुलाया था बहुत
उन्हीं आंसुओ से आज ,नवोदय जिंदाबाद लिख दूं!!
[ हमी नवोदय हो]
-вlυeнearт💙
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