तु परिंदो की तरह उन्मुक्त...
मै सायों सा विलुप्त...
तु खुशियों की तरह सफल...
मै किस्मतों की विफलता का फल...
तु धूप की छांवो सा निर्मल...
मै तंग हवाओं सा दुर्बल...
तु फतेह् संग्रामो सा..
मै व्यर्थ के घावों सा...
तु एक शीतल धारा...
मै लहरों का मारा...
तु मुकम्मल दुआओ सा...
मै बेरहेम वेदनाओ सा...
तु मोहब्बत की पनाहो सा...
मै आपुर्ण राहों सा...
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