ख़याल कुछ इस तरह के हैं ज़हन में
कि तू रहे संग सदा जीवन में।
इन्तेहाँ कुछ यूँ हो मोहब्बत की,
के गूंज उठे, नीले गगन में।
मन जो मिल गए हैं दोनों के,
फ़िर क्या रखा है तन में।
ख़ामोश रहे यूँ ही लब हमारे,
पर हो इशारे नयन में।
ज़ोर ना हो उस आफ़ती पवन में,
के बुझा दे जलते दिल अगन में।
मिसालें बनें हम इश्क़ की कुछ ऐसे,
के चाँद-तारे भी शामिल हो मिलन में।
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