तोहफा नहीं लायी हुँ, बस दुआ लायी हुँ
तेरे लिए कड़कती धूप में, अपने प्यार की छाँव लायी हुँ...
जाम नहीं है कोई, फिर भी नशा लायी हुँ
मैं अपने प्यार की मधुशाला तेरे लिए लायी हुँ...
शायरा हुँ तेरे इश्क़ मैं, इसलिए शायरी लायी हुँ
तेरी मुहब्बत में मर कर के, फिर से जीने आयी हुँ...
दीया नहीं हुँ, फिर भी रोशनी बनकर आयी हुँ
मैं उम्मीदों का पिटारा तेरे लिए भर कर लायी हुँ...
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