रेशम कि साड़ी पहने,
अपनी रेशमी जुल्फों को काँधे पर डाले।
मेरे घर के शीशे के आगे खड़े हो कर
जब बेइन्तहा तस्सली से तुम
अपने जबीं पर बिंदी सजा रही होगी न।
उस वक़्त तेरी एक तस्वीर निकाल लेनी हैं
जिसको मैं अपने बटुए में नहीं,
ये मेरी कमीज़ की ऊपर वाली जेब हैं न
उस में रखा करूँगा।
क्योंकि बटुए तो अक्सर चोरी हो जाते हैं,
पर अपने दिल के चोर को सीने के करीब
क़ैद कर लेने का सुक़ून ही कुछ और हैं।।
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