QUOTES ON #YAYAWAR

#yayawar quotes

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गुनगुनी सी धूप
मिट्टी की महक
गुलमोहर के फूल
ओक में भरी बारिश
शिवरंजनी की धुन
दूर कहीं से आती किसी संन्यासी के गाने की आवाज़

कितने सुख हैं जीवन में
उदास करने के लिए

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शाम ढले अक्सर
हम नदी किनारे जाया करते थे
कुछ देर बैठ कर
मैं कहता था तुमसे-
“कुछ कहो ना... तुम्हारी ख़ामोशी बहुत चुभती है”

अब भी कभी-कभी
मैं नदी किनारे
चला जाया करता हूँ
कुछ देर बैठ कर ये कहता हूँ-
“कुछ कहो ना... “
फिर चुप हो जाता हूँ

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बड़े अजीब से ख़्याल चलते रहते हैं हमेशा
ज़हन का मंज़र बदल जाता है- अचानक
बहस करता हूँ लोगों से
बहस से उठ जाता हूँ -अचानक
माज़ी को बुलाता हूँ
बात करता हूँ
ऊब जाता हूँ
छोड़ आता हूँ माज़ी को कहीं लावारिस- अचानक
कई नामों में ढूंढता हूँ इक नाम
सिगरेट के कश खींचता हूँ
मुस्कुराता हूँ, धुआँ उड़ाता हूँ
बुझा देता हूँ सिगरेट- अचानक
शाम की तरफ़ देखता हूँ, सोचता हूँ
थाम कर हाथ सूरज का
उतर जाऊंगा दरिया में
किसी रोज़- अचानक

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11 DEC 2019 AT 10:48

हाँ,
मैं यायावर हूँ...
बस मेरा भटकाव,
मेरी तलाश खुद के भीतर है।

बाकी जो कुछ भी बाहर है,
या तो मुझे हासिल है..
या मुझे नहीं चाहिए।

(यायावर= extreme traveller)

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सब रस्ते घर को जाते हैं
तो कैसे घर खो जाते हैं

दिन को चमकें सूरज से हम
शाम को दरिया हो जाते हैं

थक गए सपने पूरे करते
अब हम थोड़ा सो जाते हैं

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जागती आँखों से देखता हूँ सपने
ना जाने कब से मैं सोया नहीं हूँ

हँसता हूँ क्योंकि मैं सब सहता हूँ
अपनी बातें ख़ुद ही से कहता हूँ
उलझ कर मैं ख़ुद से ही रह गया हूँ
तड़पता हूँ कब से मैं सोया नहीं हूँ

राह नहीं है पर मैं चलता हूँ
बेमंज़िल ही रोज़ निकलता हूँ
कभी तो ख़त्म होगा सफ़र ये
भटका हूँ अक्सर मैं खोया नहीं हूँ

लम्बी है रात कि सूरज नहीं आता
ठहरा हूँ मैं कि ये पल ही नहीं जाता
जागती आँखों से देखता हूँ सपने
ना जाने कब से मैं सोया नहीं हूँ

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एक घने जंगल में
सूरज की रोशनी भी जहाँ पहुँचती नहीं
अँधेरा ऐसा
कि तारे भी झाँक सकते नहीं
हवा को रास्ता नहीं सूझता
लगातार बोलते झींगुर थक कर गूँगे होने की दुआ माँगते हैं
वहाँ अनंत काल से टिमटिमाते रहना
तुम्हें कैसा लगता है उदासी?

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पहले मुझको ख़ुदा किया
फिर बुत मुझको बना दिया

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बातों में अपनी तू बता बातें छुपा रहा है क्या
क्या है जो दिल के तेरे अंदर ही अंदर चल रहा
ये छुपाना मन पे तेरे बन के काजल जम रहा
सोच मत, ना ही डर
बात कर

देख ना बातों से तेरी खनखनाहट खो गई
है हँसी चेहरे पे पर वो खिलखिलाहट खो गई
क्या तेरे मन को अंधेरे की तरह है डस गया
सोच मत, ना ही डर
बात कर

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