हम तुम एक दूजे से मिल रहे हैं।
जाने कितनी अनकही बातें है दरमियान,
होठों को अपने फिर भी हम सिल रहे हैं।
तू मेरे सामने है और मै सामने हूं तेरे,
देख एक दूसरे को नए ख्वाब बुन रहे हैं।
फिर से बात उठ चली है गुजरे जमाने की,
बीते हुए वक्त को एक दूजे से सुन रहे है।
दिल में है की ये रात खत्म न हो कभी,
यहां यादों के अलाव जल रहे है।
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