क्योंकि एक औरत हो तुम,
रोकेंगे तुमको, टोकेंगे तुमको
हँसना कब, रोना कब, ये भी हम बतलाएँगे
हया, लाज, सौंदर्य, इज़्ज़त का पाठ पढ़ाएंगे,
क्योंकि एक औरत हो तुम
सारी कुर्बानी तुमसे ही दिलवाएंगे
कभी तुम्हारी आज़ादी, कभी पहचान छीन ले जाएंगे
तुमने गर है प्रेम किया तो दूर उसको करवाएंगे।
कभी मारेंगे कोख़ में तुमको, कभी पैसों के लिए जलाएंगे।
क्योंकि एक औरत हो तुम,
कभी नोचेंगे जिस्म तुम्हारा, कभी हाथ फेर निकल जाएंगे,
कभी आंखों से करेंगे नंगा, कभी भरी महफ़िल नचवाएँगे,
ये है देखो हक़ हमारा, ये भी तुमको बतलायेंगे।
क्योंकि एक औरत हो तुम
गर तुमने आवाज़ उठाई, दोष तुम्ही पर डालेंगे,
करेंगे शुरुआत घर से ही, तुमको अबला बना डालेंगे
कभी फ़र्ज़ तो कभी धर्म, झुक जाना सिखलायेंगे,
जो फिर भी तुम न मानी, कुलटा चरित्रहीन बतलाएँगे।
पर घबराओ मत
क्योंकि एक औरत हो तुम
पूजेंगे तुमको मंदिर में, देवी हो बतलाएँगे,
कभी दुर्गा, कभी शक्ति, काली रूप बताएंगे
फिर भी तुमको कम हो पड़ता तो
वुमेन्स डे भी मनाएंगे।
करेंगे कुछ विचार विमर्श, नारे भी लगाएंगे,
तुम हो कितनी पूजनीय ये भी हम बतलाएँगे।
क्योंकि एक औरत हो तुम।
-