अखबारों मैं क्या मशहूर होना बड़ी बात लगती है मेरे हिसाब से तोह रेप करने वालों कि भी वहाँ तस्वीर और करतूत छपती है ।। करना है कुछ तोह ज़िन्दगी मैं नेक और अच्छाइयाँ करो ना कि फिजूल मैं अखबारों कि सुर्खियाँ बनो ।।
घाव पर घाव देकर पूछते हैं खैरियत मेरी शायद तैयारी नये घाव की है भरने तो देते टीसते बहुत है ठहर जाते कुछ देर तो क्या बिगड़ जाता पुराने घाव अभी भी है ताजा उनके हाथों से मरहम की कभी उम्मीद नहीं उनसे अब वफ़ा की मुझे कोई तमन्ना भी नहीं