दर्पण भी झुठलाता है मन, लोभ नहीं ये आशा है,
एक दिन दर्पण भी बदले, हर मन की ये अभिलाषा है..
कलम स्याह उगलती है जब, तकदीरें बदला करती है,
उम्मीदों के तिनके पर बहती किस्मत तब सम्भला करती है..
थाम कलाई उठाए जिसको, वही पीठ पर घात लगाए,
जिसको हमने दाँव सिखाये, एक दिन हमपर ही आजमाए..
तेरी अपनी जंग है प्यारे, तेरी हिम्मत तेरा सपना,
एक अकेले बनो मुसाफिर, ना कोई साथी ना कोई अपना!!
-