... जानती हूं, खामोशी के पास, ज़ुबान नहीं होती,
शायद अल्फ़ाज़ भी नहीं होते।
... जानती हूं, कुछ जज़्बात गले तक भी नहीं आते,
कहीं दफन हो जाते है, दिल की गहराइयों में।
इसलिए, खाली पन्नो पर, बूंदों की मोती को गिरने दो...
जब पन्ने गीले हो जाए, आसूंओं से लथपथ,
तो समझ लेना, शब्दों की बारिश हुई थी।
खाली पन्नो को गीला होने दो।
खाली पन्नो को बेताब होने दो,
लिखने दो।
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