कविता एक कला है ,
कुछ शब्दों का मेला है।
जो ना हो सके बयान,
उन जज़्बातों को बतलाती हैं,
मुसीबतें, दुःख, तकलीफ़ इसमें अधिकतर लोगों को याद आती हैं,
मगर ख़ुशी में भी कविताएँ साथ अच्छा निभाती हैं!
जब भी होता कुछ कहना, और ना रहता कोई अपना;
तब अक्सर कुछ पंक्तियाँ याद आती है,
जो एक काग़ज़ पे लिख दीं जाती हैं,
ना उसका कोई अर्थ होता, ना उससे कोई अनर्थ,
मगर मन को बहलाने के बहुत काम आती हैं…
और इसीलिए वह कविताएँ कहलायी जाती हैं।
कविता एक कला है,
जिसने ये जाना, वह कभी ना अकेला हैं!
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