कब तलक पढ़ोगे मेरी आंखों को मेरी जां!
तुम भी एक दिन थक जाओगे।
फिर ढूढ़ोगे नयी आंखें हर दिन,
फरेब करके कभी हमसे
रकीब को दोस्तो की तरह मिलाओगे।
हम भी आँखे मूंदकर भरोसे का दिखावा करेंगे,
काले राज दफन है यहाँ, मुझे यूहीं न पढ़ पाओगे।
जिस मोड़ पर लाकर तुमने छोड़ दिया है,
उस रास्ते से बचकर तुम भी आखिर कहां जाओगे?
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