कविता दिवस पर लिखी थीं कविताएं
बचाए थे शब्द जोड़ी थीं संवेदनाएं
आज जल दिवस पर बस यही प्रार्थना है
शेष रहे पानी आंखों में
कल परसों मम्मी पापा दिवस होगा
मनाया जा सकेगा वो भी
गर वृद्धाश्रम की भीड़ में इज़ाफ़ा न हो
सब कुछ खोकर मनाते रहेंगे दिवस,
डायनासॉर के अवशेष पाकर भी
शायद इतना ही सीख पाए हम.
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