आज फिर अंधेर गलियारे में
इक आबरु लुटि थी,
आज फिर कोई मासूम "निर्भया" बनी थी।
फिर गूंज उठे राजनीतिक गलियारे
आया "कैंडल मार्च" का सैलाब,
और इंसाफ की लड़ाई को मिले कई किनारे।
देर से ही सही आरोपियों को हथकड़ी से जोड़ दिया, पर हमेशा की तरह
कुछ को उम्रकैद हुई,
कुछ को बालसुधार गृह छोड़ दिया।
पर कानून तो अंधा था,
फिर गंदे इरादों को वजह मिली थी,
आज फिर कोई मासूम "निर्भया" बनी थी।
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