न जाने क्या रह जाएगा अब,
इस ग़म से वफ़ा निभाई न हमने...
तमाम उम्र का हिसाब मांगती है ज़िंदगी,
यूं हस के उसे रुलाया है हमने।।
ये किस मुकाम पर ले आई है ज़िंदगी,
न राहों में...न किसी निगाहों में,
बस ख़्वाबों में तुझको पाया है हमने।।।
पुकारती हैं न जाने कितनी आंहें किस तरफ,
लगता है हर मोड़ पर उसे देखा है हमने,
इतनी शिद्दत से बनाई दीवार जिसने,
न जाने उसने देखा कि नहीं मुझे इस तरफ,
उसको सिसकते उस पार देखा है हमने।।।।
न जाने क्या रह जाएगा अब,
इस ग़म से वफ़ा निभाई न हमने.....….
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