कोई देखे तुम्हें और तुम्हें पहला ख्याल मेरा आए
कोई हाल पूछें तुमसे तुम्हें याद हाल मेरा आए
जब अकेले में यूंही मुस्कान चेहरे पर ठहरेने लगें
लव खामोश रहे मेरे नाम पर कोई सबाल आए
समझना समन्दर-ए-इश्क में डूब रहे हो तुम।
बार बार मेरी तस्वीर निहारने का मन करने लगे
हर पल कैसे भी साथ गुजारने का मन करने लगे
जब कान खुदवा खुद कोई आवाज दोहराने लगे
जुवां से कोई नाम पुकारने का मन करने लगे
समझना समन्दर-ए-इश्क में डूब रहे हो तुम।
जब आंखों में नींद आने से कतराने लगे
महबूब का नाम सुनकर दिल घबराने लगे
बातें भी बहोत करनी हो पर कह ना पाओ
नजर न चाहते हुए भी बेशुमार शर्माने लगे
समझना समन्दर-ए-इश्क में डूब रहें हों तुम
दोस्त जब बक्त न देने की अर्जी देने लगे
वक्त देने को औरों को खबर फर्जी देने लगे
जब खुद को तुम खुद ही समझ ना आओ
तुम न चाहो तो भी दिल अपनी मर्जी देने लगे
तो समझना समन्दर-ए-इश्क में डूब रहे हो तुम
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