वक्त का पहिया चलता जाए,,,
हर कोई वक्त पर बदलता जाए,,,
जब भी निकले ये वक्त हर शख्स का रंग दिखता जाए,,,
ये वक्त का पहिया चलता जाए।।
वक्त का खेल चलता जाए,,,
आदमी आदमी से जलता जाए,,,
वक्त के साथ सब बदलता जाए,,,
ये वक्त का पहिया चलता जाए।।
वक्त की कशमकश में सब उलझता जाए,,,
कुछ पाने की चाह में अपना आज खोता जाए,,,
ज़िन्दगी को पैसे कमाने में लगा दिया जाए,,,
बुढ़ापे तक खुद के लिए वक्त ना निकाल पाए।।
वक्त का खेल चलता जाए,,,
इसमें हर आदमी पिस्ता चला जाए,,,
ये वक्त का पहिया चलता जाए।।
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