कहते है यहां लोग की ये शहर-गांव तो सभी का है,
क्यूंकि बिना मांगे संसार पाना भी तो खेल हुनर का है।
जीने को मरता है जो गरीब से ज्यादा अमीरी का है,
क्यूंकि मृत्यु को टालने का खेल भी तो हुनर का है।
पूरी चाहतें हो या ना हो सब तो उसका खरीदी का है,
क्यूंकि आदमी को प्यार करना भी तो खेल हुनर का है।
कंठ कोमल नहीं तो उसको गीत स्वीकार सभी का है,
क्यूंकि हवा-पानी चुराने का खेल भी तो हुनर का है।
अंगार दुखियों के गले का हार तो थोड़ा सभी का है,
क्यूंकि राजनीति का तो कुछ नहीं तो खेल हुनर का है।
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