बहुत सोचा जिंदगी तुमसे हमने क्या पाया!
जो चाहा वह कभी मिला नहीं,
जो मिला वह कभी रास आया नहीं।
बहुत सोचा जिंदगी तुमसे हमने क्या पाया!
जिसको भी चाहा वह पराया हो गया,
जो भी पराया मिला उसे अपना बना लिया।
बहुत सोचा जिंदगी तुमसे हमने क्या पाया!
वह इश्क भी क्या काम का जिसने बीच में दम तोड़ दिया,
वह जिंदगी भी क्या काम की जिसने अधूरी में ही छोड़ दिया।
बहुत सोचा जिंदगी तुमसे हमने क्या पाया!
सोचते सोचते एक ख्याल-ए-जिंदगी आया,
तुमने तो हमें जीना ही सिखा दिया!
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