एक गठबंधन ऐसा हो!
मेरी ना मौजूदगी का असर , तुम्हारी आंखों में दिखे;
तुम्हारी नाराज़गी की शिकन, मेरे चेहरे पे उतरे।
मेरे अनकहे अल्फ़ाज़ तुम्हारे होठों पे ठहरे;
तुम्हारी हर एक सांस ,मुझसे होकर गुजरे।
चलो तुम उजाले में, परछाई मेरी हो;
दर्पण देखे मुझे , छवि तुम्हारी हो!
मेरी कहानियों में ,बस तुम्हारी बात हो;
तुम्हारी हर कविता का ,मुझसे आगाज़ हो।
तुम्हारी खामोशियों की वजह ,लोग पूछे मुझसे
मेरी नादानियों की शिकायत , सब करें तुमसे..
तुम्हारी पलकें उठे, तो बस मेरी ' नज़र ' से
मेरी धड़कन थमे ,तो बस तुम्हारी आहट से।
तुम पढ़लो मुझे ,मेरे लिखने से पहले;
मै समझ लूं तुम्हे ,तुम्हारे कहने से पहले..
हमारी चाहत का रंग कुछ इतना गहरा हो..
मेरे ख्वाबों में भी ,तुम्हारी यादों का पहरा हो!
जो दूरियों में भी रहे, बरक़रार, हर पल
एक साथ ऐसा हो..
ना सिर्फ हमें, जो बांधे हमारी रूह को भी, एक दूजे के संग
"एक गठबंधन ऐसा हो" !
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