वो रात सुहानी आएगी।
जो तुझे मेरे पास खींच लाएगी तू कहेगा
मुझे नहीं है जाना उस मोड पर ।
जिसे आया हूं मैं बरसों पहले छोड़कर ।।
फिर धीरे से वो रात तेरे कानों में कुछ कह जाएगी।
हां जान पर वो रात सुहानी आएगी।।
क्या याद है तुझे उस रात की बेताबी
जो तेरी आंखों में थी।
मुझे जी भर के देखने की बेताबी जो तेरी बातों में थी।।
तुझे ना थी परवाह किसी की।
तुझे ना थी चाह किसी की ।।
बेखौफ होकर ख्वाबों को सजाया था तूने हां जान उसे दिन बखूबी मुझसे किए उन वादों को निभाया था तूने।।
लेकिन जान एक बार फिर वो बरसात पुरानी आएगी
देखना जान वो सुहानी आएगी।।
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