QUOTES ON #VINDIARIES

#vindiaries quotes

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25 MAR 2021 AT 12:48

~आईना~
आईना मुझसे मेरी पहचान पूछ बैठा
मुझसे मेरी हीं घड़ी का दाम पूछ बैठा|

आईना मुझसे मेरी ज़बान पूछ बैठा
मुझसे मेरी हीं माँ का नाम पूछ बैठा|

आईना मुझसे मेरी निगाह पूछ बैठा
मुझसे मेरी हीं बहन का हाल पूछ बैठा|

आईना मुझसे मेरी तनख़ाह पूछ बैठा
मुझसे मेरी झुठी हैसियत का राज पूछ बैठा|

आईना फिर मुझसे अंजान बन बैठा
मुझसे फिर मेरी हीं पहचान पूछ बैठा|
#vindiaries.....

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4 DEC 2018 AT 19:31

काश किसी रोज नींद हथकड़ी
लेकर पहुँचे मेरे पास
और मुझे गुनहगार साबित कर,
मोहब्बत की कैद से आजाद कर दे|
#vindiaries.....

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24 APR 2021 AT 15:43

बड़ा आबिद बना फिरता है पर झाँकता है हुस्न को खिड़की से
बड़ा शातिर बना फिरता था पर डर जाता है यार की धमकी से।

बड़ा ज़ाहिल बना फिरता है पर लोगों के दिल चुराता है चालाकी से
बड़ा काफ़िर बना फिरता था पर डर जाता है सनम की हिचकी से।

बड़ा चंचल बना फिरता है पर बहुत चिढ़ता है औरों की फिरकी से
बड़ा अटल बना फिरता था पर डर जाता है महबूब की घुड़की से।

बड़ा सवाली बना फिरता है पर जाग भी जाता है एक चुटकी से
बड़ा पहेली बना फिरता था पर डर जाता है दिलबर की झपकी से।

बड़ा रसिक बना फिरता है पर इश्क़ भी करता है एक लड़की से
बड़ा आशिक़ बना फिरता था पर डर जाता है प्यार की थपकी से।
#vindiaries.....

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16 APR 2021 AT 20:09

जब तलक साँसें सरे बाजार नीलाम ना हो जायें
ज़िंदगी हंसती-रोती पल दो पल की कहानी है।

जब तलक आशिक़ सरे आम नाकाम ना हो जाये
ज़िंदगी अनुभवों के अलाव पर तपती जवानी है।

जब तलक इंसान किसी का गुलाम ना हो जाये
ज़िंदगी चाहतों को दाँव पर लगाने की निशानी है।

जब तलक रोजी रोटी का इंतजाम ना हो जाये
ज़िंदगी की क़ीमत साह को किश्तों में चुकानी है|

जब तलक ख़ुदा की मर्जी का इलहाम ना हो जाये
ज़िंदगी से दोस्ती आख़िरी साँस तक निभानी है।
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20 APR 2021 AT 18:59

जैसे पापा ने बड़ी गलतियों को चुटकी में माफ कर दिया
पर जब भी छोटी गलतियाँ हुयीं, हमारी खूब धुनाई की।

जैसे अच्छा किया माँ ने, मिठाई सब में बराबर बाँट दिया
वर्ना हम भाई-बहनों ने खाने से पहले हर बार लड़ाई की।

जैसे हीं दो चार अठन्नी खनकें जेब में, चाचा ने डाँट दिया
पर जब कभी बीमार पड़ा मैं, सबसे पहले मेरी दवाई की।

जैसे जब कभी फुआ से मिलें, अपने बच्चों सा प्यार दिया
वर्ना कौन है दुनिया में जिसने माँ के प्यार की भरपाई की?

जैसे दादी की कहानियों ने, जिंदगी जीने का सबक दिया
पर लुका छिपी के खेल में हमारी हसरतों की विदाई की।
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8 MAY 2021 AT 17:33

निगाहों से शुरू होकर इश्क़ अल्लाह की इबादत बन जाता है
गर हो इश्क़ में शिद्दत तो इतिहास की अमानत बन जाता है।

दिल तक पहुँच कर इश्क़ ताजमहल की इमारत बन जाता है
गर हो इश्क़ में दूरियाँ तो रोज़ेदार की ज़हादत बन जाता है।

रगों का ख़ूँ जब हो जाये इश्क़ बीमार की अलामत बन जाता है
गर हो इश्क़ में ऊँच-नीच तो जमाने की अदावत बन जाता है।

साक़ी की सोहबत में यह इश्क़ बचपने की शरारत बन जाता है
गर हो इश्क़ में रूहानीयत तो क़ुरान की तिलावत बन जाता है।

बेहतरीन है इश्क़ का मरहला निकाह की हिदायत बन जाता है
गर हो इश्क़ में दिलनवाज़ी तो ख़ुदा की इनायत बन जाता है।
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21 APR 2021 AT 14:12

वक़्त की दरकार है, वक़्त के साथ तुम बदलना सीखो
वक़्त की रफ़्तार से कदम मिला कर तुम‌ चलना सीखो।

गर मिले दिलदार तो उससे तुम दिल लगाना सीखो
गर मिले वफ़ादार तो उससे तुम वफ़ा निभाना सीखो।

गर मिले पुरस्कार तो ज़िम्मेदारी का बोझ उठाना सीखो
गर मिले तिरस्कार तो कीचड़ में कमल खिलाना सीखो।

गर मिले अत्याचार तो उसे उसके जड़ से मिटाना सीखो
गर मिले ग़द्दार तो उसे उसकी औक़ात बताना सीखो।

गर मिले गफ़्फ़ार तो उसके आगे शीश ‌ नवाना सीखो
गर मिले सरकार तो उसके आगे बुत बन जाना सीखो।

वक़्त की दरकार है, वक़्त के साथ तुम बदलना सीखो
वक़्त की रफ्तार से कदम मिला कर तुम‌ चलना सीखो।
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29 JUN 2021 AT 16:22

गर हम ग़लत नहीं थे तो मेरे माज़ी में ग़लत है कौन
वक़्त ने करवट बदली, तुम सोये रहे तो ग़लत है कौन?

किताबें एक अरसे तलक बस्ते में धूल फाँकती रहीं
इम्तहान में जब छूटने लगे पसीने तो ग़लत है कौन?

अपनी नादानी में बड़ो की कभी एक ना सुनी तुमने
ठोकर लगी, ज़ख़्म नासूर पड़ गया तो ग़लत है कौन?

बटुए में पैसे थे तो दोस्तो की महफ़िल जमा करती थी
आज कोई हाल भी पुछने वाला नहीं तो ग़लत है कौन?

अपनी ग़लतियों पे ख़ुद डाल पर्दा बेपरवाह बने रहे तुम
तुम्हारी ग़लतियाँ अब गुनाह बन गयी तो ग़लत है कौन?
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28 APR 2021 AT 21:18

सपनों का एक शहर जो खुली आँखों से दिखता है
एक नाज़नीन का चेहरा है जो मेरे दिल में रहता है।

हक़ीक़त में उनसे अब तलक मिलना नहीं हुआ
पर हर सहर मेरे बाग में वहीं गुलाब खिलता है।

उनकी झील सी आँखों में मेरे शाम का सूरज ढलता है
फिर होती है रौशनी ऐसी जैसे तिमिर में दीप जलता है।

तक़दीर में मेरी उनसे एक मुलाक़ात लिख दे मौला
जिनकी आँखों में मुझे मेरा सूरज चाँद दिखता है।

सपनों का एक शहर जो खुली आँखों से दिखता है
एक नाज़नीन का चेहरा है जो मेरे दिल में रहता है।
#vindiaries.....

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15 APR 2021 AT 21:34

जितना समझ पाता हूँ, बस उतना हीं लिखता हूँ
बेवजह दिमागी कसरत कभी अच्छी नहीं होती|
#vindiaries.....

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