मैं मानती हूँ शराब बुरी चीज़ है इसे पीने वाले 100 में से 90 बेकार होंगे लेकिन उनमें से 10 तो वफादार होंगे उनकी इस हालत के पीछे भी कोई मजबूरी होगी ना शराब से दोस्ती का कारण शायद अपनो से दूरी होगी ना जनाब आजकल तो आदमी अपने घर का कचरा दूसरे के घर मे फेकता है और कदमों के लड़खड़ाने पे तो सबकी नज़र होतीं है लेकिन सिर पे कितना बोझ है कोई नहीं देखता है
हिंदी की बात ही कुछ अलग हैं यू तो आज के दौर में अंग्रेजी का भी अपना महत्व है, मगर जब बात जज़्बात, भावनाओं ,कहानियों ,कविताओं की आती है, तो जो भावनाऐ हिंदी में आती है ,वो अंग्रेजी में कहाँ