तुझे कोई हक नहीं है मेरे दिमागी फैसले को ना कहने का। मैने हक नहीं दिया तुझे दिमाग से सोचे हुए फैसले के खिलाफ होने का। और हां सोचने का और समझ ने का काम दिमाग का है तो उसी को करने दो बीच में टांग ना एडाओ याही सही रहेगा तुम्हारे लिए। कहने का तात्पर्य यही है कि दर्द से बचना है तो दिमाग के फैसले से सहमती दिखाओ। आभार! Yours caretaker vish