न फिलिस्तीनी मरा है,
न यहूदी का खून हुआ है।।
इंसान मरा है,
इंसानियत का खून हुआ है।।
आरोप प्रतयारोप चला,
राजनीति का मेल हुआ है।।
हैवान उठा है,
हैवानियत का खेल हुआ है।।
बम से उड़ा, मलबे में दबा,
खून से लथपथ बचपन हुआ है।।
मुस्कुराहट मरा है,
मासूमियत का खून हुआ है।।
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