नारी,
तुम्हे उपहार दु,के उपहास दु नारी।
तुम्हे नारी होने का अभिशाप दु नारी।
अपने अंदर दुख का समुद्र लिए रहती है।
फिर भी होठो पे मीठी मुस्कान लिए रहती नारी।
तुम्हे बेटी होने का वरदान मिला।
तुम्हे पत्नि बनने का सौभाग्य भी मिला नारी।
तुम्हारे पति के गुजर जाने पर,
तुम्हे विधवा होने का अभाग्य भी मिला नारी।
बच्चा होने पर तुम्हे माँ का रूप दिया गया,
न होने पर तुम्हे बांझ का नाम भी मिला नारी।
तुम्हे किसी ने अपने पैरों के नीचे रखा,
तो किसी ने तुम्हारे इज्जत को तार तार किया नारी।
अपने शौक को पूरा किया,
तो कोई जला दिया गया तो किसी ने कही का नही छोड़ा नारी।
तुम्हे कोई सही नाम नही मिला,
तुम्हे समाज सही स्थान नही मिला नारी।
फिर भी तुमने अपना पहचान बना के रखा नारी।
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