हाथ में हमरे जाम नहीं,
ऐसी तो कोई शाम नहीं।
राम से फ़कत सियासत है,
सियासत में कोई राम नहीं।
अब कर्ज़दार भी कहते हैं,
उन को हम से काम नहीं।
सच मानो सब कायर हैं,
शायर जो बदनाम नहीं।
माँ- बाबा के चारों पग,
क्या वो चारों धाम नहीं।
बदनामो- कम नाम सही,
पर 'अंकुर' गुमनाम नहीं।
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