राख से आग की करामात मत पूछो,
मुझसे तुम ऐसे सवालात मत पूछो,
ग़र एक बार और देखा तुमने मेरी तरफ
रो दूँगी , मुझसे मेरे हालात मत पूछो,
दर्द, तकलीफ, आँसू सब बर्दाश्त मुझे
कैसे गुज़री हिज्र की वो रात मत पूछो
इश्क़ हैं या हुई कोई ग़लती मुझसे
माफ़ करों,मुझसे मेरे ज़ज्बात मत पूछो,
मुझे मुझ - सा रहने दे साजिश मत कर
उसका नाम, उसकी कोई बात मत पूछो,
मुझ रेत को एक बूंद हुई हासिल जब
धूप के तपिश की मुझपर घात मत पूछो,
सब बदला ,मैं टूटी , मैं बिखर गई 'नेहा'
छोड़ो हुआ क्या उसके पश्चात मत पूछो,
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