उन्मुक्त गगन के परिंदे हैं
आसमान में उड़ना चाहते है
क्यो डोर पकड कर बैठे हो
हम खुशिया ढूढना चाहते है
मन करे आसमान में उड़ जाऊ
मन करे जमीन पर घर बनाऊ
क्यो कठपुतली बना रखा है हमको
हम डोर सम्भालना चाहते हैं
चार दीवारी में कैद पंछी को
आसमान में उड़ाना चाहते है
ये दुनिया है या है पथरीली दीवार
यहाँ लोग डर का व्यापार चलाना चाहते है
क्यो दुसरो की दुनिया मे उंगली करते हो
हम बेझिझक दिल से जीना चाहते हैं
ये जीवन है जहाँ पैसो से सबकुछ तोला जाता है
ये व्यापार भरी जिंदगी में
रिश्तों को भी पैसो से मोला जाता है
क्यो पैसों की अहमियत सिखाते हो
हम खुशियो में जीना चाहते हैं
उन्मुक्त गगन के पँछी हैं
आसमान में उड़ना चाहते है।
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