QUOTES ON #UNITYINDIVERSITY

#unityindiversity quotes

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19 DEC 2019 AT 7:06

हुकूमत की अंधी लाठी को देख,
पिटते बच्चों की कद-काठी तो देख।
बहाने हुकुम के बासी तो देख,
सवालों पे आती खाँसी को देख।
तूफान से पहले की शांति को देख,
धूल से सनी ये क्रांति तो देख।
सड़क पर उतरी आँधी भी देख,
जलती मशाल गाँधी की देख।
गूँजते इंक़लाबी नारे को देख,
देशभक्ति के तराने भी देख।
भगत सिंह की लिखी इबारत तो देख,
सुभाष के विचारों की अमानत को देख।
इंसाफ़-बराबरी के वादे तो देख,
अनेकता में एकता इरादे को देख।
आज़ाद देश की विरासत तो देख,
उम्मीदों से भरे भारत को देख।

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9 NOV 2019 AT 12:31

स्वागत में सारी नगरी है
कोकिला शोर मचाएगी
राम तुम आ जाओ अब !
कैकेयी भी दीप जलाएगी

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10 NOV 2019 AT 22:30

मानो तो तस्वीर और न मानो तो पन्ने पर खिंची लकीर,
फर्क नजरिये का है जनाब,
वरना उपरवाला तो एक ही है,
बात बस इतनी सी है कि हम मुर्ति में भगवान देखतें है और उनके लिए उपरवाले की कोई आकृति नहीं है|

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15 AUG 2020 AT 9:53

यदि तुम्हें सम्पूर्ण विश्व के ऋतुओं का स्वरूप देखना हो
तो देश विदेश घूमने से अच्छा तुम भारत आ जाना..!

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13 AUG 2021 AT 13:40

राम रहीम के नाम पर , इंसान इंसान से लड़ता जाता है।।
धर्म के नाम पर धर्म की ही बलि चढ़ाता जाता है।। 

प्रेम और भाईचारे का पाठ भी वो भूल जाता है।।
अयोध्या ओर बाबरी के दकियानूसी नारे लगाता है।।

इस कमजोरी का फायदा वो सत्ताधीश उठाता है।।
मज़हब के नाम पर अपना स्वार्थ सिद्ध कर जाता है।।

“सलीम और सलमा” को अब वो देशद्रोही बतलाता है।।
इतना दोगलापन इनके मन मे न जाने कहाँ से आता है।।

मंदिर मस्ज़िद के झगड़ो से क्यों ये पाक जमी लाल कर जाता है।।
“पीर की चादर और राम के भगवे से मिलकर ही तो वो ध्वज तिरंगा बन पाता है”।।

-Payal Porwal“शक्ति”

 

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2 MAR 2020 AT 13:01

दफ़्न,
तो वो तुझे भी करता,
बस,
तू ने उसे अपना धर्म बता दिया!
और,
वो दूसरों के साथ इंसानियत का धर्म भूल गया।

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25 JAN 2018 AT 19:47

मैंने उर्दू को हिंदी से जोडा
मगर किसी सैयद का दिल नही है तोडा
जिन हाथों से कुरान को था छुआ उन्ही हाथों से भागवत पुराण को भी है छुआ
कहीं कोई नही रूठा
कहीं भी कोई दंगा नही हुआ
कोई जाति-धर्म का मालिक आकर मुझको नही लूटा
मैं साहित्य जगत का हूँ धर्मी अनूठा

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29 APR 2021 AT 11:53

As we move closer to satisfy
one religion and lambaste
all the other religions
.
.
.
we start to walk away
from humanity.

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17 NOV 2019 AT 13:18

Beloved,
where could I exhale
when people affirm, my whiff pollutes their world ?

How could I reveal my name
when they're trying to confine my identity?

When will I learn to live in a world,
where surviving itself becomes a battle ?

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28 FEB 2020 AT 18:01

आपस कि लड़ाई में
किसी ने घर तोड़ा है...
राम-रऊफ़ ने अब कि
पृथ्वी छोड़ा है...

#जाहिलों को समर्पित

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