अब आईने के पास से सिर्फ गुजरती नहीं
खुद को देख भी लिया करती हूं।
मन में यह ख्याल जरूर आता है
कि शायद अब उम्र थोड़ी ढलने लगी है।
मगर दिल से कहती हूं, अभी प्यार की उम्र बाकी है,
जो रह गया उसे जीना है,
जो बाकी है उसे पूरा करना है,
तब किसी ने रंग रूप देख कर प्यार किया था।
आज वो मेरे होने पर मुझे प्यार करता है।
फर्क नहीं पड़ता मैं कौन हूं, मैं कैसी हूं,
वो मेरा है, चाहे मैं जैसी हूं।
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